घरेलू हिंसा: एक सुलगती हकीकत जो हर घर को...
आभा शुक्ला:सोशल एक्टिविस्ट (कानपुर, उत्तर प्रदेश)घरेलू हिंसा एक ऐसा विषय है जिसके प्रति जागरुकता लाने के लिए बहुत प्रयास किए जा चुके हैं और किए जा रहे हैं लेकिन उसके बावजूद इस विष से समाज को मुक्ति नहीं मिल सकी है। इस कारण हमारे देश की हर तीसरी महिला नरक समान जीवन जीने को विवश हैं। क्योंकि अपने ही घर में उत्पीड़न सहना किसी नरक से कम नहीं होता।ज़रा सोचिए घर क्या होता है? प्यार, विश्वास और अपनेपन की बुनियाद पर घर का अस्तित्व बनता है लेकिन जिस घर में प्यार, सुरक्षा और अपनापन होना चाहिए, वही घर दर्द, भय और आँसुओं का गवाह बन जाए, तो समाज का असली चेहरा सामने आ जाता है। क्योंकि घरेलू हिंसा सिर्फ मारपीट ही नहीं होती, बल्कि यह ऐसा ज़हर है जो धीरे-धीरे आत्मा को छलनी कर देता है। अब सवाल यह उठता है कि यह सब कब तक चलेगा? कब तक दीवारों के पीछे एक पीड़ित महिला का दर्द दबा रहेगा और कब तक एक महिला अपने ही घर की चारदीवारी में कैद होकर घुटन भरी सांसे लेने को मजबूर रहेगीमानसिक स्वास्थ्य पर बर्बरता का असरयह बात हमें और आपको अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि जब किसी घर में कोई महिला...
Uploaded on 27-Mar-2025