(لقرآن: سورۃ نمبر 13 الرعد (آیت نمبر 28
أَعُوذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
۞اَلَّذِيۡنَ اٰمَنُوۡا وَتَطۡمَئِنُّ قُلُوۡبُهُمۡ بِذِكۡرِ اللّٰهِ ؕ اَلَا بِذِكۡرِ اللّٰهِ تَطۡمَئِنُّ الۡقُلُوۡبُ
अनुवादः
ऐसे ही लोग हैं
जो ईमान लाए और
जिनके दिलों को ईश्वर के
स्मरण से आराम और
चैन मिलता है। सुन लो,
ईश्वर के स्मरण से
ही दिलों को संतोष प्राप्त
हुआ करता है। (सूरह
अल-रअदःआयत 28)
वर्तमान
की भागदौड़ भरी जीवनशैली में
इंसान का जीवन चुनौतियों
से भरा हुआ है।
जिस कारण थकावट, अकेलापन,
उदासी और निराशा की
भावनाएं व्यक्ति को गंभीर अवसाद
में ढकेल देती है।
जो को मानसिक रुप
से अस्वस्थ्य होने का एक
बड़ा कारण है। लेकिन
जब हम ईश्वरीय पवित्र
ग्रंथ कुरआन को पढ़ते हैं
तो हमें अवसाद से
छुटकारा पाने का अमूल
उपाय मिलता है। वह यह
कि ईश्वर के स्मरण से
चैन प्राप्त होता है।
उसका
कारण यह है कि
जब इंसान ईश्वर को याद करता
है तो उसे इस
बात का ठोस एहसास
होता है कि हमारी
कठिनाईयों को दूर करने
के लिए ईश्वर मौजूद
है, जिस कारण ज़िंदगी
की चुनौतियों से निपटने का
उसमें साहस उत्पन्न हो
जाता है। एक आशा
की किरण उसके दिल
व दिमाग में हमेशा मौजूद
रहती है। जब इंसान
के अंदर उम्मीद मौजूद
हो तो अवसाद उसे
जकड़ ही नहीं सकता।
वह कठिन से कठिन
समय का भी मुकाबला
करने लायक हो जाता
है।
कुरआन
में एक जगह अल्लाह
मनुष्य की भावनाओं के
भार के संबंध में
कहता हैः-
“और
हमने निश्चित रुप से मनुष्य
को कठिनाई में पैदा किया” (सूरह
अल-बलद, आयत नबंर
90)
यह आयत हमारें दिलों
में यह बात बिठा
देती है कि जीवन
है तो कठिनाईंयां होंगी
हीं। जीवन है तो
ईश्वर की ओर से
परीक्षण भी लिया जाएगा
हमारा और ऐसे में
हमारा भरोसा और ईश्वीय मदद
से हम सुकून पा
सकते हैं।
कुछ
वर्ष पूर्व बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने
आत्महत्या कर ली थी।
उनकी आत्महत्या की खबर सुन
दुनिया हैरान रह गई थी
कि एक ऐसा बॉलीवुड
स्टार जिसके पास ज़िंदगी की
वह सारी सुविधाएं मौजूद
थीं जिसका एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति
सपने देखता है, उसने ऐसा
कदम क्यों उठाया? कई कारणों में
से उस समय यह
भी बात सामने आयी
थी कि वह बेहद
उदास और चिंतिंत जीवन
जी रहे थे। इसके
अतिरिक्त भी आप कोई
आत्महत्या का केस उठाकर
देखें तो लगभग अधिकांश
आत्महत्या का कारण निराशा
और आशा का समापन
होता है। लेकिन जब
मनुष्य को यह विश्वास
हो कि हमे ईश्वर
ने जीवन ही कठिनाईयों
से भरा दिया है
और इस जीवन के
गुज़रने के बाद एक
हमेशा हमेशा की सुविधाओं वाला
जीवन अगली दुनिया में
हमारी प्रतीक्षा कर रहा है
तो निराशा स्वयं समाप्त हो जाती है
और आशा की किरण
दिल को सुकुन दिला
देती है।
बल्कि
इस प्रकार कुरआन हमें आशा की
किरण जगाए रखने के
लिए प्रेरित करता है। एक
जगह उल्लेख है किः-
“हम
निश्चित रुप से तुमको
भय और भूख और
धन और जीवन और
फलों की हानि के
साथ आज़माएंगे, लेकिन धैर्यवान के लिए अच्छी
खबर है”
(सूरह अल-बकराह, आयतः155)
अर्थात
तुम्हारे जीवन में कठिनाईयां,
दुख, हानि यह सारी
वस्तुएं आती ही रहेंगी
और जो धैर्य बरतेगा
उसके लिए अच्छी खबर
है। यह आयत हमें
उम्मीद का दामन पकड़े
रहने के लिए प्रेरित
करती है। जब इंसान
किसी भी कठिनाई के
समय यह सोचे कि
यह तो हमारे साथ
आनी ही थी और
इसके बाद हमें हमारे
अनुकूल परिणाम मिलने वाला है तो
उसके अंदर नयी उमंग
पैदा हो जाती है।
यही कारण है कि
हम दुनिया में देखते हैं
कि जो व्यक्ति या
समुदाय जितनी ही विकट परिस्थिति
में लिप्त होता है वह
उतना ही ज़्यादा मज़बूत
होकर दुनिया में मिसाल कायम
कर जाता है। नेल्सन
मंडेला, मदर टेरेसा, मैल्कम
एक्स, गांधी जैसे अनेकों उदाहरण
हमारे सामने मौजूद हैं जिन्होंने विकट
से विकट परिस्थिति में
स्वयं पर निराशा को
हावी नहीं होने दिया
और दुनिया के सामने के
प्रभावशाली व्यक्तित्व बनकर उभरे।