कारगिल युद्ध में अपने जान की बाज़ी लगाकर अपने सच्चे देश प्रेम का प्रमाण प्रस्तुत करने और अपने देश की आन-बान व शान का परचम लहराने वाले शूरवीरों की याद में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल दिवस मनाया जाता है। यह दिवस भारतीय सेना के सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की याद दिलाता है।
कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच सन् 1999 में मई से जुलाई तक लद्दाख के कारगिल जिले में लड़ा गया था जो भारत प्रशासित राज्य जम्मू और कश्मीर का हिस्सा है, और नियंत्रण रेखा (एल ओ सी) पर स्थित है। भारतीय थल ने ऑपरेशन विजय चलकर और इसके साथ ही भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर चलाकर नियंत्रण रेखा पर स्थित भारतीय ठिकानों से पाकिस्तानी सेना व अर्धसैनिक बलों को खदेड़ दिया था, इस संघर्ष में भारतीय सेना के 572 सैनिकों को वीरगति प्राप्त हुई किंतु अंत में विजय भारत को ही हासिल हुई।
3 मई 1999 को पाकिस्तान सेना ने कश्मीर के उग्रवादियों की वेशभूषा धारण करके नालो और घाटियों के रास्ते से घुसपैठ करके लद्दाख के कारगिल जिले में स्थित टाइगर हिल्स, जो द्रास सेक्टर में स्थित है और इसे पॉइंट 5062 या सर्जिग सी भी कहा जाता है, पर कब्जा कर लिया था। मई के महीने में इस इलाके में बहुत अधिक मात्रा में बर्फबारी होती है,ऐसे में टाइगर हिल जैसे ऊंचाई वाले स्थानों से अधिकांश सैनिकों को हिल के निचले भाग में उतर आने का आदेश दे दिया जाता है। बस कुछ ही सैनिकों को वहां पहरा देने के लिए ड्यूटी लगाई जाती है क्योंकि ज्यादा लोगों के वहां रहने पर उन्हें ज़रूरत का समान और राशन पहुंचाने में कठिनाई होती है। बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं।
इसी परिस्थिति का फायदा उठाकर पाकिस्तान सेना वा घुसपैठियों ने टाइगर हिल अपने कब्जे में ले लिया था। घुसपैठ छोटी-छोटी टुकड़ों में हुई थी,उस समय भारतीय सेना के प्रमुख जरनल वेद प्रकाश मालिक थे, उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया था कि फरवरी सन् 1999 में वाजपेई जी और नवाज़ शरीफ के बीच लाहौर शिखर सम्मेलन हुआ था, लेकिन मई में कारगिल युद्ध हो गया। यह बहुत चौंकाने वाला था।
तब उन्होंने ऑपरेशन विजय चलाया जो 25- 26 मई के आसपास शुरू किया गया था और पहले तोलोलिंग पहाड़ी पर दोबारा कब्जा हासिल किया, तोलोलिंग पहाड़ी पर दोबारा कब्जा 13 या 14 जून के आसपास किया था, इसके बाद ही समझ आ गया था कि भारतीय सेना यह जंग जीत जाएगी।
जनरल बीपी मलिक (रिटायर्ड) ने बताया था कि कारगिल युद्ध आसान नहीं था, कारगिल युद्ध को लेकर इनपुट देने में हमारी इंटेलिजेंस एजेंसी नाकाम रही थी, युद्ध की शुरुआत में स्थिति साफ ही नहीं थी, यह घुसपैठिए कौन है? सुरक्षा एजेंसियों को घुसपैठ की लोकेशन के बारे में कोई इनपुट नहीं था।
तब कैबिनेट कमेटी फॉर सिक्योरिटी की मीटिंग में उन्होंने मांग रखी थी की ऑपरेशन विजय में भारतीय थल सेना के साथ भारतीय वायु सेना भी काम करेगी, इसीलिए कारगिल के लिए वायु सेना ने "सफेद सागर "ऑपरेशन शुरू किया और थल सेना ने "ऑपरेशन तलवार" शुरू किया, बाकी फौज ने मोर्चा संभाल रखा था और उन्होंने ऑपरेशन का नाम "ऑपरेशन विजय" रखा। आखिरकार भारत को विजय हासिल भी हुई।
अंततः 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल पर विजय प्राप्त कर ली। इस युद्ध में भारतीय थल सेना के जिन शूरवीर जवानों ने अपने सीने पर कई कई गोलियां खाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और दुश्मनों को खदेड़ कर टाइगर हिल पर अपना कब्जा हासिल किया और उस पर अपना तिरंगा लहराया था उनके नाम है:---
1) जवान सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव:- कारगिल युद्ध में जवान योगेंद्र सिंह यादव की बहादुरी को भुलाया नहीं जा सकता। योगेंद्र सिंह यादव को 7 सदस्यीय घातक प्लाटून का कमांडर बनाया गया था, उन्हें 3 जुलाई 1999 की रात को टाइगर हिल फतह करने का टास्क दिया गया था। टाइगर हिल पर खड़ी चढ़ाई थी, यह बर्फ से ढका और पथरीला पहाड़ था। इसी बीच पाकिस्तान सेना की ओर से फायरिंग की जाने लगी, पाकिस्तान की ओर से भारतीय जवानों पर ग्रेनेड और रॉकेट से हमला किया गया। इस हमले में छह भारतीय जवान शहीद हो गए और योगेंद्र सिंह यादव को 17 गोलियां लगी थी फिर भी उन्होंने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए हमला बोल दिया, और टाइगर हिल की तरफ बढ़ते चले गए। दुश्मनों ने उन पर हमला करना शुरू कर दिया था, लेकिन योगेंद्र यादव ने हार नहीं मानी और उन्होंने जवाबी हमला करते हुए आठ पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया, इसके बाद टाइगर हिल पर भारत का तिरंगा फहराया। उन्हें भारत सरकार की ओर से परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
2) कैप्टन विक्रम बत्रा :-- युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए लेकिन इतिहास में अमर हो गए। परमवीर कैप्टन बत्रा ने पॉइंट 4 875 में सेना को लीड किया और पांच दुश्मन सैनिकों को मार गिराया, घायल होने के बाद भी उन्होंने दुश्मन पर ग्रेनेड फेंके। अंततः भारत यह जंग जीत गया लेकिन कैप्टन विक्रम बत्रा वीरगति को प्राप्त हो गए। उन्हें आज भी लोगों ने अपने दिलों में याद रखा है, और उन्हें देश का शेरशाह भी कहा जाता है।
3) लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे:- लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे ने भी कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उनकी बहादुरी वीरता और प्रेरणादायक नेतृत्व को मान्यता देते हुए भारत सरकार ने मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया था।
इस युद्ध में वायु सेना के कैप्टन नचिकेता जो मिंग 27 विमान में सवार थे। मिंग 27 लड़ाकू विमान में आग लगने के कारण उन्हें इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी। विमान के नीचे गिरने के आधे घंटे बाद ही पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया और उनके साथ मारपीट की। उन्हें 8 दिन तक अपनी कैद में बंदी बनाकर रखा। भारत सरकार की कोशिशें से पूरे 8 दिन बाद ग्रुप कैप्टन नचिकेता को रेड क्रॉस को सौंप दिया गया, रेड क्रॉस के जरिए वे बाधा बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंचे।
इसी तरह वायु सेना के और पांच वीर बहादुर हीरो हैं जिन्होंने आसमान से दुश्मनों पर आफत बरसाई और कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त करने में अपना योगदान दिया। उनके नाम इस प्रकार हैं:--
1) एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार:-- इन्होंने सबसे पहले भारत में गाइडेड बम का इस्तेमाल किया था।
2) एयर मार्शल दिलीप पटनायक:-- इन्होंने इस युद्ध में पाकिस्तान सेना और आतंकवादियों के छक्के छुड़ा दिए थे।
3) ग्रुप कैप्टन श्रीपद टोकेकर:-- इन्होंने मिराज 2000 के द्वारा मुंथो धालों की पहाड़ियों पर पाकिस्तानियों के चिथड़े उड़ा दिए थे।
4) ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी:-- इन्होंनमिंग 27 के फाइटर विमान से दुश्मनों के दांत खट्टे किए थे।
5) विंग कमांडर पी जे ठाकुर:-- इन्होंने मिंग 27 से दुश्मन की लोकेशन का पता लगाया और उनके खौफनाक इरादों को नाकाम कर दिया था।
कारगिल दिवस ऐसे ही वीर बहादुर जवानों के अदभ्य साहस, शौर्य और बलिदान को याद करने के लिए मनाया जाता है। कारगिल दिवस मनाने का असली उद्देश्य यह है कि देश का हर निवासी देशभक्ति और देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत होकर देश में प्रेम, सौहार्द और शांति का वातावरण बनाए रखें। हिंदू मुस्लिम सब एक दूसरे को अपना परिवार समझे, आपसी प्रेम के साथ शांतिपूर्ण वातावरण बनाकर रहे और नफरत की राजनीति करने वाले कूटनीतिज्ञों के प्रयासों को विफल करें।
रेहाना परवीन
सदभावना मंच प्रभारी, छत्तीसगढ़