मुस्लिम वैज्ञानिकों के महान कारनामों का परिचय कराती यह पुस्तक

FeatureImage

By Aabha admin July 01, 2025

मुध्य युग के मुसलमानों की महान उपलब्धियां

प्रस्तुत पुस्तक डॉक्टर गुलाम कादिर लोन की उर्दू पुस्तक कुरुने-वुस्ता के मुसलमानों के साइंसी कारनामे का हिंदी अनुवाद है। उर्दू में प्रकाशित होते ही इस पुस्तक के हिंदी अनुवाद की मांग ज़ोर शोर से होने लगी थी। पाठकों की मांग को देखते हुए एमएमआई पब्लिशर्स ने इसका हिंदी अनुवाद प्रकाशित किया। आइए विस्तार से जानते हैं इस पुस्तक के बारे में।

यूं तो मुस्लिम वैज्ञानिकों के योगदान की चर्चा हमेशा से होती रही है लेकिन डॉक्टर गुलाम कादिर लोन का कारनामा अद्भुत है। उन्होंने ज्ञान विज्ञान की सभी शाखाओं पर विस्तार से चर्चा की है और आंकड़ों एवं संदर्भों के द्वारा प्रमाणिक तथ्य प्रस्तुत किए हैं।

उनकी उर्दू में प्रकाशित पुस्तक का परिचय कराते हुए दिवंगत डॉक्टर रफअत साहब (प्रोफेसर जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली) लिखते हैं, कुछ समय पहले यह धारणा आम तौर से प्रचलित थी कि वैज्ञानिक विकास सूत्र केवल यूरोपीय देशों की ही देन है। धीरे-धीरे वैज्ञानिक क्षेत्रों में यह सत्य स्वीकार किया गया कि गैर-यूरोपीय देशों ने भी विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मिस्त्र, दक्षिण अमेरिका, चीन और भारत की प्राचीन संस्कृतियों के वैज्ञानिक पहलू को अब स्वीकार किया जाने लगा है। यद्यपि इस्लाम की छत्र-छाया में अरब क़ौमों ने प्राचीन वैज्ञानिक धरोहर को सीखने, उसे यूरोप तक पहुंचाने और स्वयं इस विरासत में नए और महत्वपूर्ण अनसुंधानों को जोड़ने का जो ऐतिहासिक कार्य किया था उसके वास्तविक मूल्य को स्वीकार करने में पक्षपात और संकीर्णता रुकावट बनी रही है। अब एक-एक करके ऐसे तथ्य सामने आए हैं कि संकीर्णता के बावजूद ऐतिहासिक घटनाओं को स्वीकार करना पड़ रहा है और प्रबुद्ध वर्ग अरब-मुस्लिम वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने लगा है।

उर्दू व हिंदी भाषा में ऐसी पुस्तकें न के बराबर है जिनमें मुस्लिम वैज्ञानिकों के कारनामों का उल्लेख किया गया हो। इस तरह यह गलतफहमी मुस्लिम छात्र-छात्राओं में फैली हुई है कि विज्ञान सिर्फ यूरोप वालों का कारनामा है। जनाब डॉक्टर गुलाम कादिर लोन साहब की यह पुस्तक उस महत्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करती है जो मुस्लिम इतिहास के संबंध में महसूस की जा रही थी।

इस पुस्तक के अध्ययन से पाठकगण सहज ही यह जान पाएंगे कि मुसलमानों ने विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यूरोप के विकास के लिए आधार उपलब्ध किए हैं। प्रस्तुत पुस्तक में इतिहास, भूगोल, खनिज-विज्ञान, जीव-शास्त्र, रसायन-विज्ञान, भौतिक-विज्ञान, खगोल-शास्त्र और आयुर्विज्ञान (Medicine) में मुसलमानों के शोध और अन्वेषण का उल्लेख किया है। (पृष्ठ संख्या – 05,06)

पुस्तक की भूमिका में लेखक महोदय लिखते हैं-

मुसलमान जहां विज्ञान के अविष्कारों से दूसरों की तरह लाभ उठा रहे हैं, वहीं उनके मन में बार-बार यह प्रश्न उठता है कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक में मुसलमानों की क्या भूमिका रही है? अपने युग के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिकों की सूची में किसी मुसलमान का नाम न पाकर नई पीढ़ी विशेष रुप से हीन भावना का शिकार हो रही है। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्रों को यह भावना सदैव सताती रहती है कि उनके पूर्वजों का दामन वैज्ञानिक उपलब्धियों से क्यों रिक्त है जिस पर उन्हे गर्व होता? गैर-मुस्लिमों की नज़र में मुसलमानों की तस्वीर एक ऐसे व्यक्ति की तस्वीर है जो कई पत्नियां रखने वाला और भोगविलास में खोया रहने वाला, कपोल-कल्पित शायरी का रसिया और शिक्षा से वंचित मनुष्य है। चीन से लेकर अमेरिका तक उसकी एक ही तस्वीर है, जिसकी पहचान यह है कि यह अत्यंत भयानक और संकीर्ण मानसिकता वाला अस्तित्व है। दुनिया में लज्जा का कारण है। घिसी-पिटी पुरानी बातों पर ध्यान देता है। उसे वर्तमान जीवन-शैली की अपेक्षाओं का कोई ज्ञान नहीं है। पुरानी परंपराओं को सीने से लगाए हुए है। (पृष्ठ संख्या – 08)

मुस्लिम छात्रों को यह पता ही नहीं है कि जिस विज्ञान ने उनकी आंखों को चकाचौंध करके उन्हें हीन भावना में डाल दिया है, उसे उनके पूर्वजों ने ही सैकड़ों वर्षों तक खून-पसीने से सींचकर परवान चढ़ाया है। (पृष्ठ संख्या – 09)

पुस्तक की विषय सूची को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें सभी महत्वपूर्ण विषयों को सम्मिलित किया गया हैः-

प्राक्थन

भूमिका

ज्ञान का स्थान

इतिहास-लेखन (Historiography)

भूगोल (Geography)

खनिज विज्ञान (Mineralogy)

वनस्पति विज्ञान (Botany)

जन्तु-विज्ञान (Zoology)

रसायन विज्ञान (Chemistry)

भौतिक विज्ञान (Physics)

  • अभियांत्रिकी (Mechanics)

  • तोप

  • घड़ी

  • तराजू

  • हवा में उड़ने का प्रयास

खगोल विज्ञान (Astronomy)

गणित (Mathematics)

  • रेखा गणित (Non Euclidean Geometry)

  • त्रिकोणमिति (Trigonometry)

आयुर्विज्ञान (Medicine)

  • चिकित्सायल (Hospital)

दर्शन शास्त्र (Philosophy)

पुस्तक के अंतिम अध्याय में बताया गया है कि जब पश्चिमी दुनिया अज्ञानता के अंधेरे में डूबी हुई थी और अंधविश्वासों का चलन था, उस समय मुस्लिम वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण अनुसंधान किए। ज्ञान के स्त्रोतों तथा अपने शोध कार्यों को अपने तक सीमित न रख मानव हित में उसका प्रचार प्रसार किया, विशेषकर चिकित्सा तथा औषधि के क्षेत्र को प्रसारित किया। जबकि यूरोप के बहुत से लेखकों ने मुस्लिम वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों के द्वारा किए गए शोध कार्यों को अपने योगदान के रुप में इस प्रकार प्रस्तुत किया कि असल शोधकर्ताओं की मुस्लिम पहचान ही छिप जाए।

डॉक्टर साहब ने विस्तार से चर्चा का प्रयास किया है इसलिए पुस्तक के पृष्ठों की संख्या अधिक हो गई है। यदि डॉक्टर साहब स्वयं इसका एक सारांश तैयार कर सकें तो यह बहुत अच्छा होगा।

अंत में कहा जा सकता है कि प्रस्तुत पुस्तक हिंदी भाषी लोगों के लिए एक कीमती उपहार है। पुस्तक को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। पुस्तक प्रकाशन को हिन्दी साहित्य में एक बड़े योगदान के रुप में देखा जाएगा।

डॉक्टर गुलाम कादिर लोन

समीक्षक: डॉक्टर फरहत हुसैन

        रिटायर्ड कॉमर्स प्रोफेसर