शादी, अफेयर, मर्डर का सामाजिक प्रभाव

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By Aabha admin July 01, 2025

बीते महीने सोनम राजवंशी द्वारा अपने पति की हत्या पूरे समाज में चर्चा का विषय बनी रही। कोई इसे लेकर पूरे महिला वर्ग को कठघरे में खड़ा करने लगा तो कोई इसका ज़िम्मेदार सोनम के माता पिता को ठहराने लगा। सोनम ही नहीं इससे पूर्व भी जल्द ही जल्द हमारे सामने कई ऐसे केस आए जिसमें पत्नी ने अपने पति की हत्या कर दी। जिसमें मुस्कान, रानी, प्रगति, प्रतिमा, रवीना जैसे नाम शामिल हैं। यह सारे ही केस बेहद चौंकाने वाले और चिंताजनक थे।

इस प्रकार की हत्याओं ने हाल के वर्षों में मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर उनकी अविश्वसनीय प्रकृति के कारण लोगों का काफी ध्यान आकर्षित किया। जबकि व्यापक, अप-टू-डेट आँकड़े सीमित हैं क्योंकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) पत्नी द्वारा पति की हत्या के लिए कोई विशेष श्रेणी नहीं रखता है, लेकिन उपलब्ध डेटा और मीडिया रिपोर्टों ने पूरे समाज को चिंतित कर दिया।

पत्रकार दीपिका नारायण भारद्वाज की 2023 में एक रिपोर्ट आयी थी जिसके आंकड़ों पर नज़र डालें तो यह पता चलता है कि 2022 में, लगभग 220 व्यक्तियों की उनकी पत्नी द्वारा हत्या की गई, जबकि इसके विपरीत 270 से अधिक महिलाओं की उनके पति द्वारा हत्या की गई, यह आंकड़ें बताते हैं कि वैवाहिक हत्या दोनों दिशाओं में होती हैं, हालांकि यह अपराध अलग अलग परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं।

उद्देश्य: इस अपराध का सबसे मुख्य उद्देश्य विवाहेतर संबंध होता है, 2022 में 271 मामलों में से 218 मामले महिलाओं द्वारा अपने प्रेमी के साथ साजिश रचने से जुड़े हैं। अन्य कारणों में घरेलू झगड़े (48 मामले) और वित्तीय विवाद (4 मामले) शामिल हैं। 2018 में व्यभिचार को अपराध से मुक्त किया जाना भी (धारा 497, आईपीसी) ऐसे अपराध की बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण है।

तरीके: हत्याओं में अक्सर गला घोंटना, जहर देना, छुरा घोंपना या भाड़े के हत्यारों को काम पर रखना जैसे क्रूर तरीके शामिल होते हैं। कुछ मामलों में शवों को विच्छेदित करना या छिपाना भी शामिल है, जैसे कि सीमेंट के ड्रम में छिपाना या दूरदराज के इलाकों में फेंकना।

नवीनतम मामलों का अवलोकन (2024-2025)-

1. मेघालय हनीमून किलिंग (मई 2025):

25 वर्षीय सोनम रघुवंशी ने कथित तौर पर मेघालय में अपने हनीमून के दौरान अपने पति, 29 वर्षीय राजा रघुवंशी की हत्या करने के लिए मध्य प्रदेश के तीन लोगों को काम पर रखा था। राजा का शव उनके घर से 20 किलोमीटर दूर एक झरने के पास खाई में मिला। अवैध संबंध का खुलासा हुआ और हर जगह आक्रोश फैल गया, लोग पंरपरागत विवाह और विश्वास पर प्रश्न खड़े करने लगे। 

2. मेरठ सीमेंट ड्रम हत्या (मार्च 2025):

27 वर्षीय मुस्कान रस्तोगी और उसके प्रेमी साहिल ने कथित तौर पर मुस्कान के पति सौरभ राजपूत, जो एक पूर्व नौसेना अधिकारी थे, को नशीला पदार्थ खिलाकर मार डाला। उन्होंने उसके शरीर के टुकड़े किए, उसे सीमेंट और नमक के साथ एक ड्रम में भर दिया और उसे फेंक दिया।

सूत्रों के अनुसार, मुस्कान ने कथित तौर पर साहिल को हत्या करने के लिए मनाने के लिए नकली स्नैपचैट संदेशों का उपयोग करके हेरफेर किया, यह दावा करते हुए कि वे उसकी मृत माँ के थे।

इस मामले ने पूरे समाज पर गहरा असर डाला, जिससे मनोवैज्ञानिक हेरफेर के बारे में चर्चा हुई और संत कबीर नगर में एक व्यक्ति ने इसी तरह के भाग्य से बचने के लिए अपनी पत्नी की शादी उसके प्रेमी से तय कर दी।

3. औरिया कॉन्ट्रैक्ट किलिंग (मार्च 2025): 22 वर्षीय प्रगति यादव और उसके प्रेमी अनुराग यादव ने 5 मार्च को अपनी जबरन शादी के दो हफ्ते बाद ही प्रगति के पति दिलीप की हत्या के लिए ₹2 लाख में एक कॉन्ट्रैक्ट किलर रोमाजी चौधरी को काम पर रखा। दिलीप को एक खेत में गोली मार दी गई और पीटा गया और अस्पताल में उसकी मौत हो गई। प्रगति द्वारा विवाह के बाद अनुराग के साथ संबंध जारी रखने में असमर्थता जताने के बाद, सीसीटीवी साक्ष्य के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

4. बेगूसराय सोशल मीडिया विवाद (2025): 25 वर्षीय रानी ने अपने पति महेश्वर राय की बिहार के फ्लाहौत गांव में कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी और फिर उसे फांसी पर लटका दिया। ऐसा उसके लगातार इंस्टाग्राम रील्स और डांस वीडियो को लेकर हुए विवाद के बाद हुआ। रानी को हिरासत में लिया गया, जबकि उसके साथी भाग गए। वह सोशल मीडिया पर रील्स आदि बनाने में बहुत ज्यादा सक्रिय थी और इससे घरेलू कलह होती थी। मृतक के पिता ने तब संदेह जताया जब उनके बेटे का फोन किसी और ने उठाया। 

5. जयपुर बर्निंग केस (2025): गोपाली ने कथित तौर पर अपने पति धनलाल सैनी को जयपुर में जिंदा जला दिया, क्योंकि उसने उसकी निष्ठा पर सवाल उठाया था। तो, यह बेवफाई के आरोपों का प्रतिशोध था। वह पांच साल से कपड़े की दुकान में काम करने वाले दीनदयाल के साथ संबंध में थी। 

6. भिवानी यूट्यूबर केस (2025): हरियाणा के रेवाड़ी की एक यूट्यूबर रवीना को अपने प्रेमी सुरेश, हिसार के साथी यूट्यूबर के साथ कथित तौर पर अपने पति प्रवीण की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के रूप में जाने जाने वाले इस शख्स की भूमिका आधुनिक रिश्तों में उजागर होती है और उनकी प्रसिद्धि उन्हें नैतिकता के साथ समझौता करने पर मजबूर करती है। दोनों को जेल भेज दिया गया और उसके बेटे को उसकी दादी को सौंप दिया गया।

7. प्रतिमा केस (2024-2025): प्रतिमा ने अपने प्रेमी हेगड़े की मदद से पति को जहर दे दिया। जांच के अनुसार, पुलिस को पता चला कि दोनों ने कथित तौर पर पति के खाने में एक तरह का धीमा जहर मिलाकर दिया था। बालकृष्ण की पत्नी प्रतिमा (44) और दिलीप हेगड़े पर बालकृष्ण की मौत का आरोप लगा। 20 अक्टूबर की सुबह उन्हें घर पर मृत पाया गया और उनके पिता संजीव ने मौत में गड़बड़ी का संदेह जताया था। जांच के दौरान पाया गया कि बालकृष्ण को कई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ हुईं, लेकिन स्थिति और बिगड़ गई और उसके बाद उनकी मृत्यु हो गई। 

आइए उन कारकों का विश्लेषण करें जिनके कारण उन्होंने जघन्य अपराध किया:- 

सामाजिक और कानूनी संदर्भ

सांस्कृतिक कारक- 

जबरन विवाह: अधिकांश केस में यह पाया गया कि परिवारवालों ने लड़की की बिना मर्ज़ी के जबरन शादी कर दी। जिस कारण लड़की अपने पति के साथ सही तालमेल नहीं बिठा पाती, उसके दिल व दिमाग पर परिवारवालों के प्रति गुस्सा छाया रहता है और परिणामस्वरुप वह अपने प्रेमी के साथ मिलकर कोई अपराध कर डालती है।

सोशल मीडिया: सोशल मीडिया की उत्पत्ति भी वैवाहिक जीवन के विवादों का बड़ा कारण है। ऑनलाइन गतिविधि (जैसे, इंस्टाग्राम रील्स) पर विवाद हिंसा को जन्म दे रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर एक आदर्श परिवार दिखाने की धुन भी लोगों को उग्र बनाने में सहायक होती है। जब व्यक्ति को यह लगने लगता है कि उसका निजी जीवन सोशल मीडिया पर दिखाने लायक नहीं है तो वह अपराध का सहारा लेने की सोचने लगता है।

लिंग गतिशीलता में बदलाव: इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज द्वारा 2024 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि मोबाइल एक्सेस वाली आर्थिक रूप से स्वतंत्र महिलाएं जब विवाह पश्चात दूसरे माहौल में पहुंचती हैं तो स्वयं को उस वातावरण के अनुरुप ढाल नहीं पातीं और पति की हाथ में सत्ता सौंपने को मानसिक रुप से तैयार नहीं हो पातीं। इस कारण उनमें पति के विरुद्ध हिंसा की भावना जाग्रत होने लगती है।

कानूनी खामियाँ- 

विशिष्ट कानूनों का अभाव: दहेज हत्या (धारा 80, बीएनएस) या महिलाओं के खिलाफ क्रूरता (धारा 85ए) के विपरीत, पति की हत्या या पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा के लिए कोई विशिष्ट कानूनी श्रेणी नहीं है, जिससे डेटा संग्रह और कानूनी सहारा सीमित हो जाता है। 

व्यभिचार का गैर-अपराधीकरण: धारा 497 (व्यभिचार) को खत्म करने वाले 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विवाहेतर संबंधों और संबंधित हत्याओं में वृद्धि के लिए एक कारक के रूप में उद्धृत किया गया है। 

सजा: हत्या के मामले बीएनएस की धारा 103(1) (हत्या) या धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के अंतर्गत आते हैं, लेकिन दोषसिद्धि साक्ष्य पर निर्भर करती है, जो साथियों के साथ पूर्व नियोजित मामलों में चुनौतीपूर्ण हो सकती है। 

सार्वजनिक धारणा- 

सनसनीखेज़ मीडिया: मीडिया इन अपराधों को इस तरह प्रदर्शित करता है जैसे नई अपराध लहर चल रही हो या फिर महिलाओं को ही कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है। जैसे कि मानो महिला सशक्तिकरण गलत दिशा में जा रहा हो।

सोशल मीडिया: मीडिया द्वारा बनाई गई छवि ही सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड करने लगती है। सोनम राजवंशी केस के बाद कई पुरुष सोशल मीडिया पर पुरुष आयोग की मांग करते हुए दिखे। जबकि भारत में घरेलू हिंसा की प्राथमिक शिकार महिलाएँ ही अभी तक हैं। (महिलाओं के विरुद्ध 31.8% अपराध पतियों या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता से किए जाते हैं), पति की हत्याओं पर ध्यान केंद्रित करने से कथानक पलट गया है, जिसका उपयोग कभी-कभी महिलाओं की स्वतंत्रता के विरुद्ध तर्क देने के लिए किया जाता है। 

अंतर्निहित कारण भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कारक: विशेषज्ञों का मानना है कि जब महिलाएं हताश, निराश होती हैं या उनके साथ दुर्व्यवहार एवं अपमान होता है तो उनके अंदर अपराध की प्रवृत्ति पनपती है।

संघर्ष समाधान का अभाव: टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट में डॉ. मल्होत्रा ​​ने आधुनिक रिश्तों में "सामंजस्य कौशल की कमी" को अपराध का मुख्य कारण बताया, जो कि खराब संचार और अनसुलझे आघात से और भी बढ़ जाता है। वैसे भी हमारे समाज में बातचीत कर मामले को सुलझाने का चलन आज भी कम है। 

सामाजिक दबाव: भारतीय समाज का यह दुर्भाग्य है कि यहां आज भी तलाक को एक बुरी चीज़ के रुप में देखा जाता है। तलाक और वित्तीय निर्भरता का कलंक व्यक्तियों को कानूनी अलगाव के बजाय अपराधिक समाधानों की ओर धकेल देता है। 

निष्कर्षः-

भारत में महिलाओं द्वारा पतियों की हत्या, हालांकि सांख्यिकीय रूप से यौन हत्या से कम होती है, लेकिन यह एक बढ़ती हुई चिंता है, जो अक्सर विवाहेतर संबंधों, जबरन विवाह और सोशल मीडिया द्वारा संचालित संघर्षों से जुड़ी होती है। 2024-2025 में मेघालय, मेरठ और औरैया जैसे हाई-प्रोफाइल मामले बेहतर कानूनी ढांचे, सामाजिक जागरूकता और संघर्ष समाधान तंत्र की आवश्यकता को उजागर करते हैं। हालाँकि, इस मुद्दे को घरेलू हिंसा के व्यापक संदर्भ को प्रभावित किए बिना संबोधित किया जाना चाहिए, जो महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित करता है।

"हत्यारी पत्नियाँ" शब्द मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दोनों कारकों से प्रभावित एक जटिल विकार को संदर्भित करता है, जो अक्सर घरेलू हिंसा या भावनात्मक संकट से उत्पन्न होता है। सौभाग्य से, दुर्व्यवहार के पीड़ितों के पास अब मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों तक पहुँच सरल हो गई है और उन्हें कठिन रिश्तों से निपटने में मदद करने के लिए उनके परिवारों और दोस्तों द्वारा समर्थन मिलना चाहिए। यह समर्थन ऐसी त्रासदियों को रोकने और स्वस्थ रिश्तों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

सहर नज़ीर

स्वतंत्र पत्रकार, बरेली, उत्तर प्रदेश