कविता
नौशीन फातिमा खान
लेखिका एवं शिक्षाविद्
मिल जुल कर रहें सब एक हैं हम
तू काला मैं गोरा तू हिंदू मैं मुस्लिम नहीं नहीं!
एक ही आदम के रूप अनेक हैं हम!
मिट्टी के रंग अलग अलग
पर हम सबका है एक फलक
एक ही धरती एक ही आसमां
हम सब एक हैं कोई फ़रक नहीं
भेदभाव की दीवार को तोड़
एकता की डोर से दें सबको जोड़
सद्भावना की भावना से जगमगाए दुनिया सारी
साथ साथ चलें तो जीत हो हर बार हमारी
एक ही आदम के बेटे बेटियां
एक ही परिवार के सदस्य हैं
हमारे बीच कोई भेद नहीं है
हम सब दिल से एक हैं
आओ हम सब मिल कर इस दुनिया को सुंदर बनाएं
एक दूसरे के प्रति प्रेम करुणा और सम्मान बढ़ाएं!