माफ़ी ना मिली

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By Aabha admin June 01, 2025

कहानी

.यासमीन तरन्नुम

जबलपुर, मध्य प्रदेश

नेहा की ससुराल के सामने एक घर था जो कि देखने में सामान्य सा लगता था। जब नेहा शादी कर के ससुराल आयी तो उसे अपने घर के सामने बने उस घर में रहने वाले पड़ोसियों के बारे में जानने की इच्छा जागृत हुई। पूछने पर पता चला उस घर बड़े से घर में दो परिवार रहते हैं। आगे के हिस्से में आरज़ू नाम की सुशील और संस्कारी महिला रहती है जिसके चार बच्चे हैं। दो बेटे और दो प्यारी सी बेटियां। घर के पिछले हिस्से में आरज़ू का भाई अपने परिवार के साथ रहता है। आरज़ू के पिता ने अपने बेटे और बेटियों को कानून के मुताबिक प्रापर्टी में उनका हिस्सा दे दिया था।

देखते ही देखते नेहा की उस परिवार से अच्छी दोस्ती हो गई। आरज़ू की दोनों बेटियां नेहा के घर आया करती थीं। एक का नाम सिमरन था और एक का नाम सुमन। नेहा उन दोनों के साथ काफी ज़्यादा घुल मिल गई थी और वे दोनों भी दिन भर नेहा के घर के चक्कर लगाया करती थीं। इस प्रकार नेहा का भी मन ससुराल में लगने लगा था। 

सुमन और सिमरन के मामा को अपनी बहन आरज़ू का इस तरह मायके में रहना पसंद नहीं था। वह चाहता था कि आरज़ू अपने बच्चों के साथ यह घर छोड़कर चली जाए ताकि पूरे घर पर उसका कब्ज़ा हो जाए। लेकिन आरज़ू की भी अपनी मजबूरी थी। ससुराल से मिले एक छोटे से कमरे को वह किराए पर उठाए थी। जो किराया आता था उससे उसका गुज़ारा होता था। इसके अलावा कोई दूसरा आय का स्त्रोत नहीं था। इसलिए वह मजबूरी में मायके में ही रहती थी। लेकिन आए दिन आरज़ू का भाई बहाने बहाने से उन सब से लड़ा करता था।

एक दिन की बात है नेहा दोपहर का खाना बना रही थी सिमरन खिल खिलाती हुई किचन में आई और कहने लगी देखो, “भाभी यह कैसा है?” 

नेहा ने पलट कर उसके हाथ की तरफ देखा, वह खूबसूरत सा एक सूट लिए हुए खड़ी थी।

नेहा ने कहा,  “बहुत प्यारा है! सिमरन बोली, यह मुझे गिफ्ट मिला है।

नेहा उससे और कुछ पूछ पाती इससे पहले ही उसकी मां की आवाज आई तो वह वापस अपने घर चली गई शायद कुछ कहने आई थी पर कह ना पाई किसी काम से उसकी मां आरजू ने उसे आवाज देकर बुला लिया था।

2 दिन बाद ही नेहा ने देखा कि पड़ोस से बहुत शोर की आवाज आ रही है। नेहा अपनी बालकनी पर आई और बाहर की तरफ देखा तो उसे आरजू के घर के बाहर भीड़ नजर आई। नेहा की बालकनी ऐसी थी की आरजू का पूरा घर और बीच के सड़क दिखाई देती फासला कम था तो आवाज तक एक दूसरे की सुनाई देती थी।

नेहा ने देखा आरजू और सुमन बहुत ज्यादा रो रही हैं पता करने पर मालूम हुआ कि सिमरन घर से भाग गई है वह किसी लड़के के साथ.... बस क्या था शुरू हो गया उसके मामा का तमाशा वैसे ही वह बहाना ढूंढ रहा था कि यह लोग घर से निकल जाएं।

बहन आरजू के ग़म का ख्याल करे बगैर लड़ाई झगड़े पर आमादा हो गया और इन लोगों को घर से निकलने की धमकी देने लगा, सुबह से रात हो गई मगर उनके घर का झगड़ा न शांत हुआ। दूसरे दिन जैसे- तैसे पड़ोसियों ने समझाया तब जाकर आरजू का भाई माना पर उसने कह दिया कि  अब इस घर में सिमरन वापस कभी नहीं आएगी।

वहां घर से निकलने के बाद सिमरन ने उस लड़के से शादी कर ली। मगर वह लड़का जब उस को अपने घर लेकर गया तो ससुराल वालों को लगा की यह तो बहुत बड़ा नुकसान हो गया है। बिना दहेज के शादी हुई है। वे अपनी पसंद से कहीं शादी करते तो शायद ज़्यादा दान दहेज मिलता। वे उसे बात बात पर प्रताड़ित करने लगे।

सिमरन को भी लगने लगा कि उस से बहुत बड़ी गलती हो गई है रात दिन पछताने लगी कि उसने ऐसा क्यों किया? क्यों अपने मां-बाप की इज्जत का ख्याल नहीं किया? क्यों घर से भाग आई?

इस पछतावे में उस से ना खाना खिलाता ना कुछ काम में मन लगता वह अपनी मां से मिलना चाहती थी, किसी तरह अपने घर जाना चाहती थी मगर जब भी कोशिश करती अपने घर जाने की कोई ना कोई उसको जाने से रोक देता उसके मामा की बातें बता कर। एक दिन नेहा को रास्ते में वह मिल गई नेहा को देखते ही उसने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोली, भाभी  मुझे मां से मिलना है।“ “प्लीज मुझे मां से मिला दो।

नेहा ने उसे आश्वासन दिया कि वह कोशिश करेगी। घर जाकर नेहा ने बहुत सोचा क्या करना चाहिए फिर उसने अपनी सहेली के घर इन दोनों की मुलाकात कराने का सोचा क्योंकि मां बेटी एक दूसरे से मिलने के लिए तड़प रही थीं अपने दिल की बातें एक दूसरे से करना चाहती थीं एक दूसरे से अपना हाल सुनाना चाहती थीं सिमरन उनसे माफी मांगना चाहती थी । दूसरे ही दिन नेहा ने उन लोगों की मुलाकात करा दी।

सिमरन अपनी मां से लिपटकर खूब रोयी, उसकी मां भी बहुत रोयी। 

सिमरने ने अपनी मां से गले लगते हुए कहा, मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई, मां मुझे माफ कर दो मुझे वापस घर आना है मां मुझे वहां नहीं रहना है, मुझे वापस बुला लो।

आरजू ने बिलख़ते हुए कहा, तेरा मामा तुझे वहां नहीं आने देगा बेटी मैं क्या करूं? मैं कुछ सोच रही हूं मैं कोशिश करूंगी। तुझे वापस बुलाने की तू बस अपना ख्याल रखना जहां भी है अच्छे से रहना।

फिर दोनों अपने-अपने घर वापस चली गईं घर आकर आरजू सोच में पड़ गई की किस तरह मैं उसको वापस बुलाऊं? क्या करूं

कुछ समझ नहीं आ रहा था आरजू का भाई तो उसको बर्दाश्त ही नहीं करेगा। यह सब बातें उसने नेहा को बताईं तो नेहा ने आरजू से कहा कि तुम अपने भाई को समझाओ उस से बात करो।

नेहा के कहने पर आरजू ने अपने भाई से बात की बहुत मिन्नत की हाथ जोड़े बहुत समझाने की कोशिश की मगर वह नहीं माना उसने कहा कि जिस दिन वह आएगी इस घर में तू भी अपने बाकी बच्चों को लेकर घर से बाहर निकल जाना। इस तरह सिमरन का वापस आना नहीं हो पाया आरजू मजबूर हो गई और तड़प के रह गई पर कुछ कर ना सकी। 

एक दिन सिमरन हिम्मत करके मामा के घर आ गई और उनके कदमों में गिरकर माफी मांगने लगी, मामा मुझे माफ कर दोमामा बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे माफ कर दो मुझे….रहने दो इस घर में मुझे मामा वहां नहीं रहना है अपने घर वापस आना है मुझे।

उसकी बातें सुनते ही उसके मामा को गुस्सा आ गया और गुस्से में लाल होकर उसने कहा, निकल जा अभी इसी वक्त मेरे घर से तुझे कोई माफी नहीं मिलेगी ना ही इस घर में रहने के लिए जगह मिलेगी जहां गई है जा वही रह, यहां वापस नहीं आना दोबारा।

उसके मामा ने उसे इतना फटकार कि उसे वापस जाना पड़ा। आरजू बड़ी बेबस थी कि उसके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था। अपनी बेटी का साथ देना चाह रही थी मगर कैसे दे बहुत मजबूर थी, बहुत दुखी थी, उसकी फूलों जैसी बेटी मुरझा गई थी, गरीबी में भी कितने नाज़ से उसने उसे पाला था और अब उस बच्ची से गलती हो गई थी और उसे अपनी गलती का एहसास भी था पर उसे माफी नहीं मिल रही थी, घर वापसी का रास्ता नहीं खुल रहा था तड़प रही थी मगर कुछ नहीं कर पा रही थी।

ऐसे ही एक हफ्ता और गुजर गया और फिर जो हुआ उसका तो किसी को गुमान भी देना था। आग की तरह यह खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई कि सिमरन खाना पकाते वक्त आग में जल गई है जाकर देखा गया तो सिमरन 90% जल चुकी थी, अस्पताल ले जाया गया मगर वह न बच सकी और वहीं पर उसने अपनी मां की गोद में दम तोड़ दिया।

(सत्य घटना पर आधारित)