मुगल इतिहास को हटाया जाना
रेहाना परवीन
सद्भावना मंच प्रभारी, जमात-ए-इस्लामी हिंद,छत्तीसगढ़
एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा के सिलेबस में कुछ बड़े बदलाव करते हुए मुगल इतिहास को सिलेबस से हटा दिया है। अब मुगल साम्राज्य से जुड़े कुछ चैप्टर किताबों में नहीं है तथा मुगल दरबार को हटा दिया गया है। इसके तहत बच्चों को अकबरनामा और बादशाहनामा मुगल शासक और उनका साम्राज्य रंगीन चित्र, आदर्श राज्य राजधानियां और दरबार पदवियां, उपहार और भेंट शाही परिवार, शाही नौकरशाही जैसे विषय पढ़ाये जाते थे।
इसी तरह एनसीईआरटी की कक्षा सातवीं में इतिहास की पाठ्य पुस्तक से मुगलो और दिल्ली सल्तनत से संबंधित सभी संदर्भ हटा दिए गए हैं और उनके स्थान पर भारतीय राजवंश, महाकुंभ, मेक इन इंडिया, अटल सुरंग और बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जैसे नए संदर्भ जोड़ दिए गए हैं। कहा जा रहा है कि नई पाठ पुस्तकों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अनुसार तैयार किया गया है।
मुगल इतिहास के अतिरिक्त एनसीईआरटी ने कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों से महात्मा गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन सरकार द्वारा आरएसएस पर लगाए गए संक्षिप्त प्रतिबंध से संबंधित कुछ पैराग्राफ भी हटा दिए हैं। साथ ही गांधी जी द्वारा हिंदू मुस्लिम एकता की खोज से हिंदू चरमपंथियों को भड़काने वाले पैराग्राफ भी हटा दिए गए हैं।
नवभारत टाइम्स (एनबीटी) के पत्रकारों ने जब एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश प्रसाद सकलानी से मुगल इतिहास को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से हटाए जाने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने यह तर्क दिया की कोविड माहवारी के बाद पिछले साल (2023) में हर विषय में एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई थी ताकि बच्चों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम किया जा सके। एक्सपर्ट कमेटी ने हर विषय के कंटेंट को देखा और उसके बाद तय किया कि कौन-कौन से चैप्टर हटाए जाने चाहिए, उन्होंने कहा कि यह सब शैक्षणिक प्रक्रिया के तहत किया किया गया है।
प्रोफेसर सकलानी और एक्सपर्ट टीम के मेंबर्स ने अपने इस काम के प्रति और अधिक सफाई देते हुए यह तथ्य रखे हैं कि हमने सिर्फ मुगल इतिहास ही को नहीं हटाया बल्कि गणित ,विज्ञान, भूगोल समेत कई विषयों में कंटेंट को कम किया है। जहां तक मुगल इतिहास की बात की जा रही है तो छात्र अगर एक कक्षा में पढ़ते हैं तो उसी बारे में दूसरी कक्षा में वही कंटेंट पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं है। अपने इस फैसले को और अधिक उचित बताने के लिए प्रोफेसर सकलानी और उनकी एक्सपर्ट कमेटी ने कुछ तथ्य पेश किए हैं जैसे:----
१)पाठ्यक्रम को युक्ति संगत बनाना:---- एनसीईआरटी ने यह तर्क दिया कि मुगल काल को पाठ्यक्रम से हटाने का उद्देश्य छात्रों के लिए पाठ्यक्रम के बोझ को कम करना है।
२)महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान:---- कुछ इतिहासकारों का मानना है की मुगल काल पर ध्यान केंद्रित करने से छात्रों को भारतीय इतिहास के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं, जैसे स्थानीय शासको, कला, संस्कृति और सामाजिक संरचनाओं पर जानकारी प्राप्त करने का पर्याप्त मौका नहीं मिल पाता है इसीलिए भी मुगल काल को पाठ्यक्रम से हटाना उचित कदम है।
३)नए विषयों को शामिल करना:--- एनसीईआरटी ने मुगल साम्राज्य के स्थान पर मौसम, जलवायु, भौगोलिक परिवर्तन, भारतीय संविधान,बाजार की समीक्षा और व्यवसाय जैसे नए विषयों को शामिल किया है।
एनसीईआरटी के इस निर्णय का कुछ लोगों ने कड़ा विरोध किया है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहासकार "अली नदीम रिजवी साहब" का कहना है कि देश में जिस तरह का माहौल चल रहा है उसमें से मुगलों को गायब करने की कोशिश की जा रही है, इतिहास चाहे अच्छा हो या बुरा हो,इतिहास इतिहास होता है।
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से मुगल इतिहास को हटाकर अतीत को मिटा रही है, जबकि चीन हमारा वर्तमान मिटा रहा है। वह चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने का जि़क्र कर रहे थे। ओवैसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:-"एक तरफ मोदी सरकार एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से मुगल इतिहास को मिटा रही है, वहीं दूसरी तरफ चीन जिसके साथ पीएम मोदी जी-20 इंडोनेशिया बैठक में हाथ मिला रहे थे, इस तरह हमारा वर्तमान मिटाया जा रहा है।"
कांग्रेस के झारखंड प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने आरोप लगाया है कि एनसीईआरटी की किताबों से मुगल दरबार के बारे में पाठ हटाने का फैसला देश के इतिहास को बदलने की कोशिश है। केंद्र पर निशाना साधते हुए पांडे ने कहा कि देश में लोकतंत्र खतरे में है।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पीएम मोदी के भारत के अनुरूप आधुनिक भारतीय इतिहास की शुरुआत 2014 से होनी चाहिए थी कपिल सिंब्बल ने ट्वीट करके कहा एनसीईआरटी के पाठ पुस्तकों से मिटा दिया गया है--
१) गांधी जी का हिंदू मुस्लिम एकता का प्रयास
२) आरएसएस पर पर लगाया हुआ प्रतिबंध।
३) गुजरात दंगों के के सभी संदर्भ।
४) विरोध प्रदर्शन जो समकालीन भारत में सामाजिक आंदोलन में बदल गए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा--"मोदी जी के भारत के अनुरूप आधुनिक भारतीय इतिहास की शुरुआत 2014 से होनी चाहिए क्योंकि भाजपा सरकार 2014 में सत्ता में आई है।"
एक लोकतांत्रिक समाज में इस प्रकार से इतिहास के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाना लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत तो है ही साथ ही देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है। जब हमारी वर्तमान पीढ़ी इतिहास को सही तरीके से जान और समझ ही नहीं पाएगी तो उचित रुप से उसका आंकलन करने भी असफल रहेगी। इसलिए हमें जागरुक होने एवं इसका पुरज़ोर विरोध करने की आवश्यकता है। हम वर्तमान सरकार को इस तरह मनमानी करने नहीं दे सकते, इसके लिए देश की जनता को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। मैं समझती हूं कि सबसे पहले भारत के सभी वर्ग को एकजुट होकर सरकार की इस प्रकार की पक्षपाती नीतियों का विरोध करना होगा जिसके द्वारा हमारे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता यह है कि हमें स्वयं इतिहास को पढ़ना व समझना होगा। इतिहास का निष्पक्ष आंकलन करना होगा तथा अपने बच्चों को भी सही इतिहास उपलब्ध कराने का निजी तौर पर प्रयास करना होगा। तभी हम अपनी आने वाली नस्लों के भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं, और देश को भी वास्तविक उन्नति की ओर अग्रसर कर सकते हैं।