डॉक्टर : सामाजिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक
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दिवस विशेष
डॉक्टर : सामाजिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक

एक जुलाई को हमारे देश में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इसलिए आज हम बात करने जा रहे हैं समाज के उस वर्ग की जिसे सभी धार्मिक ग्रंथो और रिवायतों में भगवान, परमेश्वर का दर्जा दिया जाता है, अर्थात हम आज अपने इस लेख के माध्यम से चर्चा करेंगे चिकित्सक वर्ग के समाज के नज़रिये के बारे मे जिसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू शामिल है।

प्रिय पाठकों डॉक्टर ईश्वर की तरफ से इस धरती पर बीमार और परेशानहाल लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण वर्ग समझा जाता है और इस वर्ग को समाज में सर्वोच्च स्थान पर रखा जाता है क्योंकि डॉक्टर एक स्वस्थ समाज के लिए समाज का एक मजबूत स्तम्भ हे।

हर परिवार अपने सदस्य के लिए बीमारी और परेशानी मे एक अच्छे डॉक्टर और सफल इलाज की अपेक्षा रखता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवार वालों को उसकी परेशानी से निकालने, बचाने के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने तत्पर रहता है और यह सारी प्रक्रिया सिर्फ चिकित्सक और इस पेशे से जुड़े लोगों पर एक अटूट विश्वास की बुनियाद पर संपन्न होती है।

प्राचीन काल से ही डॉक्टर को समाज मे बड़ा महत्व दिया जाता रहा है और आधुनिक युग के इस प्रौद्योगिकी दौर मे भी डॉक्टर को समाज मे वही स्थान प्राप्त है, लेकिन वर्तमान भौतिकवादी दौर में इस पेशे पर कलंक भी लगने लगे हैं।

डॉक्टर बन समाज में सम्मान पाने का सपना बुनने वाले व्यक्ति को काफी लंबे अर्से तक पढ़ाई करनी पड़ती है, जिसके लिए कठिन प्रशिक्षण और धैर्य की आवश्यकता पड़ती है। प्रत्येक वर्ष लाखो बच्चे NEET EXAM मे क्वालीफाई करने के लिए अपना भाग्य आज़माते है। नीट की परीक्षा में सफल होने के बाद पांच वर्ष MBBS या कोई मेडिकल कोर्स में बैचलर डिग्री हासिल करने में खपाने होते हैं। उसके पश्चात भी किसी एक विशेष फील्ड मे दक्षता हासिल करने के लिए भी एक लंबी अवधि तक MS, MD की डिग्री हासिल करने और फिर से एक कठिन प्रशिक्षण के दौर से गुजरना पड़ता है। कुल मिलाकर समाज मे एक सीनियर विशेषज्ञ डॉक्टर बनने के लिए एक व्यक्ति को अपनी जिंदगी के ग्यारह बारह साल पढ़ाई और प्रशिक्षण मे लगाने होते हैं, तब जाकर समाज को एक सीनियर प्रशिक्षित, ट्रेन्ड डॉक्टर नसीब होता है। 

उसके बाद भी एक डॉक्टर के लिए हर रोज एक नया अनुभव और समस्या से दो चार होना, नई नई बीमारियों का वज़ूद मे आना, यह सब चीजे उसकी जिंदगी के साथ चलती है अगर मैं यहां यह बात कहूँ कि एक डॉक्टर की अपनी कोई निजी जिंदगी नहीं होती है तो इसमे कोई हर्ज नहीं होगा, रात को गहरी नींद में होने के बाद भी उसे अपनी नींद व आराम को कई बार कुर्बान करना पडता है। यह सब खूबियां ही है जो समाज मे उनके सम्मान को बढ़ाती है, यह नजरिया हर आमजन मे पाया जाता है और इसी नजरिए से समाज मे डॉक्टर को देखा जाता है। और यही कारण है कि डॉक्टर को समाज मे ईश्वर के रूप मे दर्जा दिया जाता है।

लेकिन आज बड़े बड़े शहरो में सभी सुविधाओं से सुसज्जित जो बड़े बड़े हॉस्पिटल मौजूद हैं वहाँ यह पेशा एक बड़ा व्यावसायिक क्षेत्र बन चुका है, जहां हॉस्पिटल में दाखिल होने वाला हर व्यक्ति एक ग्राहक या एक एटीएम के रूप मे देखा जाता है। एक ऐसा ग्राहक जिसकी अज्ञानता का लाभ उठा कर उसे पूरी तरह ठगने की कोशिश की जाती है, और इस पूरी प्रक्रिया पर किसी का कोई नियंत्रण देखने को नहीं मिलता है। समाज मे चिकित्सक वर्ग और इस पेशे के प्रति जो नकारात्मक नजरिया देखने को मिलता है उसके कई कारण हे कुछ कारणो पर मैं यहां इस लेख के माध्यम से आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा

1. चिकित्सा क्षेत्र का बढ़ता हुआ व्यावसायीकरण - इस पूंजीवादी अर्थव्यवस्था मे सार्वजानिक क्षेत्रों का जब बड़े स्तर पर व्यावसायीकरण होता है तो समाज मे उसके नकारात्मक पहलू भी सामने आते हैं। आज जहां सरकार की ओर से निजी मेडिकल कॉलेज में बेतहाशा वृद्धी देखने को मिल रही है और करोड़ों रुपयों का खर्च एक डॉक्टर बनने के लिए आ रहा हो तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि करोड़ों रुपयों को खर्च करने के बाद समाज में जो डॉक्टर इस पेशे मे आयेंगे वो इस पेशे के साथ क्या न्याय कर पाएंगे, वो चाह कर भी अपनी नैतिकता के पैमाने पर खरे नहीं उतर पाएंगे।

बड़े बड़े उद्योगपतियों द्वारा आज बड़े बड़े जो हॉस्पिटल खोले जा रहे हैं क्या उनका मकसद समाज सेवा है या अपनी तिजोरियों को भरना है इस पॉइंट पर भी सोच विचार जरूरी है कई बार इन बड़े हॉस्पिटलो मे डॉक्टर सिर्फ मालिको के लिए एक मोहरा होता है जहां कब क्या लिखना हे किसको एडमिट करना हे, कितनी जांचे लिखनी है, कितने ऑपरेशन करने हे यह सारी चीजे डॉक्टर नहीं बल्कि हॉस्पिटल का प्रशासन तय करता है। कई बार अखबारो में ऐसी ख़बरें भी देखने को मिलती है जहां एक मरे हुए शरीर को कई दिनों तक वेन्टीलेटर पर रखा जाता है और मरीज़ के परिवारजनों को धोखे और विश्वास के साथ खुल्लमखुल्ला कमाई करने, रुपया वसूलने का खेल खेला जाता है। 

2. दवा कंपनियों मे बेतहाशा वृद्धी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा, कमीशन खोरी - समाज में जो बड़ी बड़ी प्राइवेट दवा कंपनियां हैं वह अपने उत्पाद के प्रचार प्रसार के लिए डॉक्टर को कमीशन के रूप मे बड़े बड़े गिफ्ट और एक बड़ी राशि देने की रिवायत चलन मे लाई है, कोई भी दवा कंपनी अपने उत्पाद की बिक्री के लिए मेडिकल वालों और डाक्टर को एक बड़ा मार्जिन तय कर उसका रेट निर्धारण करती है, अगर एक डॉक्टर कमिशन नहीं भी लेता है तो मरीज़ या उसके परिवारजन के मेडिकल स्टोर पर जाने के बाद मेडिकल स्टोर वाले उसे कौनसी कंपनी की दवा देंगे यह आप खुद सोच सकते हैं। सरकार को चाहिए कि दवा कंपनियों पर और उनकी पॉलिसी पर नियंत्रण लगाए, मुनाफे की एक निर्धारित दर तय की जाए ताकि पब्लिक को अच्छी दवाएं आसानी से मुहैया हो और दवा कंपनियों की मनमानी वसूली पर कुछ नियंत्रण बनाया जा सके।

3 सरकार द्वारा लिया जाने वाला टैक्स -- कहते हैं कि आज के दौर में किसी भी बीमारी के इलाज के लिए उसकी पूरी डिटेल्स डॉक्टर के पास उपलब्ध हो और मरीज़ को पूरी तरह राहत देने के लिए ही चिकित्सकों द्वारा जांचे लिखी जाती है लेकिन सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी बड़ी जांचों में एक बड़ी राशि मरीजों से वसूल की जाती है जिसके कई कारण होते हैं, उनके निर्माण मे लगने वाली बड़ी राशि उसकी गुणवत्ता। लेकिन मैं समझता हूं कि चिकित्सा के क्षेत्र मे जो उपकरण, मशीनों और जांच सेंटर वालो से वसूल किए जाने वाले टैक्स की दर मे कमी करके भी मरीजों को राहत प्रदान की जा सकती है। साथ ही मेडिकल फील्ड मे आने वाले स्टूडेंट्स में नैतिक मूल्यों पर भी बराबर फोकस करके चिकित्सकों को आमजन को राहत प्रदान करने की भावना को मजबूती दी जा सकती है। 

4 सरकार द्वारा चलायी जाने वाली योजनाएं -- पिछले कुछ सालो से हम देख रहे हैं कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारे मेडिकल फील्ड में आमजन को राहत देने के लिए कई योजनाएं अमल मे लाती है, जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY), और केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS), इसके अलावा राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर स्वास्थ्य योजनाएं चलाती हैं। जैसे राजस्थान में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना RGHS आदि। इन योजनाओं से निश्चित रूप से आमजन को बड़ी राहत मिलती है लेकिन जब किसी एक अच्छे डॉक्टर द्वारा कहा जाता है कि इस योजना मे मिलने वाले उपकरण, उपचार की क्वालिटी आपको पूरी तरह स्वस्थ रखने के लिए कारगर नहीं है तब मजबूर होकर आमजन को निजी हॉस्पिटल की तरफ जाना पड़ता है। इसलिए सरकार को पारदर्शिता वाली एवं गुणवत्तापूर्ण योजनाएं लाने की आवश्यकता है।

उपरोक्त नकारत्मक पहलुओं पर जब हम चर्चा करते हैं तो यह बात साफ़ हो जाती है कि आमजन मे  चिकित्सकों के प्रति पाए जाने वाले इस नकारत्मक नजरिए के कई कारण हैं जिनमे सरकार की पॉलिसी और सरकार की मंशा और नियंत्रण, प्रशासन मे पाया जाने वाला भ्रष्टाचार भी अहम रोल अदा करता है। 

एक अच्छे डॉक्टर के लिए मैं समझता हूं कि उसके उच्च स्तरीय ज्ञान और प्रशिक्षण के साथ साथ उसके व्यवहार, धेर्यशीलता, और मरीज़ के साथ उसका रिश्ता, शांत स्वभाव, सहयोग और नेतृत्व, समय प्रबंधन, नैतिकता, मानवता के प्रति उसका समर्पण, आदि खूबियां एक अच्छे और उच्च डॉक्टर के लिए जरूरी है, एक अच्छा डॉक्टर एक अच्छा दोस्त, और एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व होना चाहिए ताकि मीठे बोल के साथ वो मरीजों से एक भावनात्मक रिश्ता जोड़ सके, और उसे इस उम्मीद पर की कल ईश्वर द्वारा उसके पेशे उसकी जिम्मेदारी,ईमानदारी, निष्ठा का हिसाब उससे लिया जाना है 

अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लललाहु अलैही वसल्लम फरमाते हैः “कि तुम में से हर शख्स जवाबदेह है और हर शख्स से उसकी जिम्मेदारी का हिसाब लिया जाएगा।”

हम देश के सभी चिकित्सकों को उनकी कोशिशे, उनके कार्यो, उनकी निष्ठा और उनकी कुर्बानी के लिए सलाम पेश करते हैं और अपने रब से यह दुआ करते हैं कि ईश्वर आप सभी को आपके सभी अच्छे कामों का बेहतरीन बदला आपको दे। 

एक इंसान अपनी पूरी जिंदगी मे जिस सम्मान प्रतिष्ठा की कामना रखता है वो एक डॉक्टर को इस पेशे मे एंट्री के साथ ही मिल जाती है और यदि कोई डॉक्टर सामाजिक सेवा के क्षेत्र मे कुछ कोशिशे करता हे, खुद को लोगों के लिए मुफ़ीद बनाने, बेहतर बनाने का प्रयास करता हे तो पूरी दुनिया उसे सलाम पेश करती है उसके हक मे दुआ करती है।  

 हैदर अली अंसारी

 सामाजिक कार्यकर्ता एवं अध्यापक, मांगरोल, राजस्थान

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