"इंडिया - वर्ल्ड्स 4th लार्जेस्ट इकॉनमी"
कविता
क्या यही है मेरे देश की सच्चाई?
नारे लगाए प्रगति के
औरत की सुरक्षा कौन करे?
प्रजातंत्र है देश हमारा
क्या 'वोट चोरी' इस जीत का सहारा?
बेरोज़गारी से युवा परेशान
क्या यही है मेरे देश की पहचान?
है धर्म और जाति का भेदभाव यहाँ
'विकसित भारत' है मेरे देश का सपना
दलित और किसान की आवाज़ को दबाना
क्या यही है मेरे देश का फ़साना?
सड़कों पे गड्ढे, टूटे हुए पुल
बिखरे हुए वादे और आँखों पे धूल!
'टैक्स टोल' ने है छू लिया आसमान
क्या यही है मेरे देश की शान?
शिक्षा का हुआ अपमान, देखता रहा समाज
छात्र और अध्यापक पे हुआ लाठी चार्ज
विद्या के मंदिरों में ख़ून के निशान
क्या यही है मेरे देश का संविधान?
ग़रीबी, भ्रष्टाचार और महंगाई का मेला
नेताओं ने सिर्फ़ कुर्सी से खेला
क्या यही है विकास की असली पहचान
या सिर्फ़ एक दिखावा, एक झूठी शान!
ज़ोया ख़ान पठान
मडगांव, गोवा