पूर्वी राजस्थान के बाढ़ पीड़ितों की मददगार बनी जमाअत-ए-इस्लामी हिंद
पूर्वी राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले में भारी बारिश से काफ़ी नुक़सान हुआ है। ज़मीन धंसने के मामले सामने आए हैं तो दूसरी ओर बाढ़ के पानी ने जीवन को मुश्किल बना दिया है। ज़िले के जड़ावता गांव में लगातार बारिश और जलभराव ने खेतों को बर्बाद कर दिया है। उपजाऊ ज़मीन दरक गई है, गहरे गड्ढे बन गए हैं और फसलें बह गई हैं। सूरवाल गांव में हालात कुछ अलग हैं। यहां सूरवाल डैम ओवरफ्लो होने से बाढ़ का पानी घरों में भर गया है। अनाज, कपड़े और ज़रूरी सामान नष्ट हो गए हैं। कई लोग छतों या टीन शेड में रहने को मजबूर हैं। ज़िले के 30 से ज़्यादा गांव प्रभावित हैं और 1 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। सेना, NDRF और SDRF राहत कार्यों में जुटे हैं।
जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द राजस्थान बनी बाढ़ पीड़ितों की मददगार
ज़िला सवाई माधोपुर में पिछले दिनों भारी बारिश के बाद बाढ़ के हालात बन गए। ज़िले के शहर सवाई माधोपुर,सूरवाल,मच्छीपुरा,धनौली व जड़ावता में ज़्यादा नुकसान की खबर सामने आने के बाद जमाअत के एक प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नाज़िमुद्दीन साहब के नेतृत्व में प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कर ज़रूरतमंदों की एक सूची तैयार कर उनकी मदद की योजना बनाई।
जमाअत ए इस्लामी हिन्द राजस्थान आम जन के सहयोग से अब तक 6,37,000(छ: लाख सैंतीस हज़ार रुपये) ज़रूरतमंदों की मदद पर ख़र्च कर चुकी है जिसमें 121 लोगों को 3 लाख 77 हजार नगद राशि, 500 राशन किट्स (एक किट 500रु) कुल 2 लाख 50 हजार की राशन किट्स और 350 फ़ूड पैकेट्स शामिल हैं।
'I Love Prophet Muhammad' के नारों को अपराध घोषित करना असंवैधानिक : मोतसिम खान
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने पैग़म्बर मुहम्मद सल्ल० के प्रति प्रेम और नारे प्रदर्शित करने को लेकर देश भर में मुसलमानों के खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारियों की कड़ी निंदा की है। मीडिया को दिए एक बयान में जमाअत के उपाध्यक्ष ने कहा, "यह धारणा कि 'मैं पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल०) से प्यार करता हूँ' का नारा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भड़का सकता है, मूल रूप से त्रुटिपूर्ण है और भारत के बहुलवाद और सभी धर्मों के सम्मान के मूल्यों का अपमान है। सदियों से, भारत के लोग एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए साथ-साथ रहते आए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक हथकंडे और सांप्रदायिक पुलिसिंग एक सामंजस्यपूर्ण समाज में अनावश्यक तनाव पैदा कर रही है।"
उन्होंने आगे कहा, " पैग़म्बर मुहम्मद सल्ल० समस्त मानवता के लिए दया के दूत हैं। उनके प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति को अपराध घोषित करना न केवल अत्यंत खेदजनक है, बल्कि असंवैधानिक भी है। यह भारतीय संविधान द्वारा अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार-प्रसार की स्वतंत्रता) के तहत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन करता है। शांतिपूर्ण धार्मिक अभिव्यक्ति सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा नहीं है बल्कि यह एक मौलिक अधिकार है जो हमारे राष्ट्र के नैतिक ताने-बाने को मजबूत करता है।"
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के कानपुर से शुरू हुई पुलिस कार्रवाई अब पूरे देश में फैल गई है। कई राज्यों में कम से कम 21 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिनमें 1,324 से ज़्यादा मुसलमानों पर मामला दर्ज किया गया है और 38 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उत्तर प्रदेश इस मामले का केंद्र बना हुआ है, जहाँ 16 मामले में 1,000 से ज़्यादा लोगों को आरोपित किया गया है। उत्तराखंड, गुजरात और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भी ऐसे मामले सामने आए हैं।
मलिक मोतसिम खान ने आगे कहा, "कानपुर, जहाँ पुलिस कार्रवाई गलत तरीके से शुरू की गई थी, उन गलतियों को स्वीकार और सुधार करके इस कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाना चाहिए था। इसके बजाय, इस मुद्दे को जानबूझकर बढ़ाया गया है, जिससे पूरे देश में तनाव फैल रहा है। यह स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और निर्दोष नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करके उन्हें भड़काने के राजनीतिक रूप से प्रेरित एजेंडे की ओर इशारा करता है।"
जमाअत के उपाध्यक्ष ने मुस्लिम समुदाय से भी अपील की कि वे इस अवसर का उपयोग समाज के सामने पैग़म्बर की करुणा, न्याय और शांति की शिक्षाओं को प्रस्तुत करने के लिए बुद्धिमत्ता और आत्मविश्वास के साथ करें। साथ ही, उन्होंने सरकार और पुलिस अधिकारियों से सभी झूठी और अतिशय एफआईआर तुरंत वापस लेने, गिरफ्तार किए गए निर्दोष लोगों को रिहा करने और अतिशयोक्ति के दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया।